कभी न रुकी, कभी न थकी -पूनम Neither she stopped nor got tired

यह कहानी बिहार का बक्सर जिला, ईटाढी़ प्रखण्ड, पंचायत नारायणपुर, उसमें एक गाँव है ओराप की है। इस गाओ की जनसंख्या लगभग 2500 है। ज्यादातर लोग ध्याड़ी मजदूर हैं। हर रोज काम करते हैं और उससे अपना जीवन चलाते हैं। महिलाएँ अपने गाँव में धान रोपाई का काम करती हैं और गेहूँ, धान, चना इत्यादि की कटाई का भी। पुरुष काम की तलाश में अगल-बगल के गाँवों में जाते हैं। उसके लिए 15-15 किलोमीटर तक चलकर जाना पड़ता है। वहाँ पर ईंटा, बालू ढोने और गली-नाली का काम मिलता है। हर शाम को 250-300 रुपए मिलने की उम्मीद उनको ज़िंदा रखती है। तभी लॉकडाउन हुआ और सारा काम बंद हो गया। अब जैसे-तैसे करके लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं। 

उसी गाँव में चमार टोला है। पूनम का परिवार वहीं रहता है। माता-पिता, 4 बेटियाँ और 2 बेटे हैं। एक बेटी की शादी हो गई है और तीन बेटियाँ कुँवारी हैं। एक बेटी पैर से विकलांग है। दो लड़के हैं जिसमें एक 18 साल का है और एक उससे कम है। बड़ा वाला कुछ पढा़ई करके शहर में काम करता है। पूनम अपने माता-पिता की दूसरी बेटी है। अभी वह 22 साल की है। स्कूल की पढ़ाई पूरी हो चुकी है। इस साल 12वीं की परीक्षा में उसको अच्छे नंबर आए हैं। वो अब ग्रेजुएशन की पढ़ाई करना चाहती है। 

पूनम की माँ स्कूल में खाना बनाने का काम करती है। पिता अब कोई काम नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनको लकवा मार दिया था। कोविड 19 के पहले पूनम का भाई कमाने के लिए पानीपत शहर गया था। बक्सर से 18 घंटे का सफर है रेलगाड़ी से। एक फैक्टरी में धागा काटने के काम में उसको 8000 रुपये महीना मिलता था। उसमें से 2000-3000 हजार रूपये वह घर पर भेजता था। लॉकडाउन के पहले पूनम का भाई होली में घर आया था। बुखार और सर्दी के कारण उसकी तबियत थोड़ी खराब रहती थी तो परिवार के लोगों ने उसे घर बुला लिया। उसकी आमदनी बंद हो गई। फिर लॉकडाउन लग गया तो वो यहीं फँस गया।

पूनम बहुत जिम्मेदार लड़की है। वह शुरू से ही अपने पिता की हर तरह से मदद करना चाहती है और करती भी है। वह दूसरे के खेतों में धान, गेहूँ, चना की कटाई करती है। फिर उनका 10 बोझा (गट्ठर) बाँध कर खेत वाले के घर पहुँचाती है। इसके बदले में एक बोझा मजदूरी मिलता है जिससे वे अनाज लेते हैं। जैसे ही पूरी दुनिया में तालाबंदी हुई सब लोग घरों में बंद होने लगे थे। लेकिन तालाबंदी के दौरान भी पूनम का समय खेतों में ही जा रहा था। गेहूँ कटाई, धान रोपाई, निराई के साथ प्याज़ काटने का काम भी करने लगी थी। इसके लिए उसे अपने गाँव से 2-3 किलोमीटर दूर जाना होता था। सुबह में 3 बजे घर से निकलना और शाम को 4 बजे घर वापस आना। उसके साथ में अगल-बगल की कुछ महिलाएँ और लड़कियाँ जाती थीं। चलते वक्त वे सब कोविड19 महामारी को लेकर बात करती जाती थीं। 

सब लोग अलग-अलग तरह की बातें करते थे। बाकी लोग अखबार, टी़ वी चैनल से समाचार सुनकर और देखकर समझ रहे थे, लेकिन पूनम के परिवार में इसकी जानकारी के लिए कोई साधन नहीं था। पूनम सुनी-सुनाई बात ही जानती थी। खेत में काम करते समय वहाँ पर पुलिसवाले आते थे और काम बंद करने को बोलते थे। सबको हड़काते थे कि शारीरिक दूरी बना कर काम करो। पूनम साथ में खाना ले जाया करती थी, लेकिन साथ में ज्यादा लोग होने के कारण कभी-कभी खाना नहीं खा पाती थी। खेत में शारीरिक दूरियाँ बनाना संभव नहीं होता था। इस कोविड की बीमारी  में क्या क्या सावधानी बरतनी है, कोविड कैसे फैलता है, इससे कैसे बचना है, इन सारी बातों की पक्की जानकारी नहीं थी। जैसे जैसे पुलिस लोग बोले, वैसे ही वैसे सब काम करते थे। सच पूछो तो तालाबंदी में पूनम को कोई फर्क नहीं पड़ा, उसका कोई काम बंद नहीं हुआ और हमेशा की तरह वह काम करती रही। अगर वह बीमारी के डर से काम नहीं करती तो खाने को नहीं मिलता।  वैसे भी बीमारी का डर एक तरफ और बिना खाये कैसे जिंदा रहेंगे यह स्थिति दूसरी तरफ। काम करना ही है। 

पूनम पूरे परिवार की देखभाल करती है। अभी उसके भाई की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। उसके पंजरी में पानी हो गया था। कई जगहों पर इलाज हो रहा था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इलाज के खर्च के साथ घर खर्च की चिंता थी। पूनम ने कपड़ा सिलाई करके और फैट संस्था में महिला नेतृत्व के लिए जो काम किया था, उस पैसे से लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार को सँभाला। 

सारे पैसे खर्च करने के बावजूद भाई-बहन में मनमुटाव चल रहा है। परिवार में मम्मी-पापा को ज़रूर लगता है कि पूनम ने कुछ मदद तो की है। लेकिन जब से पूनम को फैट की तरफ से मोबाइल मिला है और उसे तो संस्था की हर मीटिंग में जुड़ना होता है, उसका होमवर्क करना होता है, तब से घर में खींचातानी बढ़ गई है। वह अपने घर के कामों के लिए ज्यादा टाइम (समय) नहीं दे पा रही है। बहन-भाई को लगता है कि पूनम सारा दिन फोन में लगी रहती है, केवल अपने विकास की फ़िक्र है उसको और वो लोग घर-बाहर का काम कर रहे हैं। वे सब पूनम की स्थिति नहीं समझ पा रहे हैं।

अभी पूनम आगे बी।ए। करना चाहती है। लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं। ऊपर से शादी का दबाव कई सालों से चलता आ रहा है। पढ़ाई की वजह से इतने दिन शादी रोक पाई थी, लेकिन अब मुश्किल हो रही है। और भावुक बातें की जाती हैं। बोला जाता है कि शादी कर लो नहीं तो हम जिंदा नहीं रहेंगे तो कौन शादी करेगा। उसके समुदाय में लड़कियों की शादी जल्द ही करा दी जाती  है। अब वो 22 साल की है तो सब लोग बोलते हैं कि इतनी बड़ी हो गई है। घरवाले शादी नहीं कर रहे हैं क्योंकि बेटी कमाकर ला रही है। शादी कर देने से बेटी की कमाई खाने को नहीं मिलेगा, यह ताना देते हैं। इन बातों का असर पिता पर होता है तो वो पूनम को भला-बुरा बोलने लगते हैं। कहते हैं कि तुम बड़ी हो और तुमसे दो छोटी है, अगर तुम्हारा ब्याह नहीं होगा तो उन बहनों का कैसे होगा। अब पूनम भी हार मानने लगी है। उसके घर में पापा और भाई दोनों ही बीमार हैं। पापा तो बीमारी के चलते बहुत पहले से काम नहीं करते हैं, लेकिन भाई का भी नहीं पता वो कब तक ठीक होगा। 

इन सारी बातों से पूनम परेशान हो गई है और उसने शादी के लिए हाँ बोल दिया है। लेकिन दिल से नहीं, सिर्फ अपने परिवार की खुशी के लिए। पूनम को पता है कि शादी के बंधन में बाँधने की बात समाज में महिलाओं को ‘कंट्रोल’ करने के लिए की जाती है। लेकिन अभी पूनम के सामने कोई उपाय नहीं है। उसकी पढा़ई नहीं है और कोई रोजगार भी नहीं। फिर भी वह लगातार काम कर रही है। फैट संस्था की मदद से वह कोविड 19 की सही जानकारी सही स्रोत से ले रही है। जब से पूनम फैट की वर्कशॉप में जुड़ने लगी तब से उसकी समझ बढ़ने लगी कि कोरोना वायरस से कैसे बचना है, क्या सावधानी रखना है। वह सबसे बात करती है और सबका सुनती भी है तो उसको अच्छा लगता है। धान रोपाई के समय वह दुपट्टे से मुँह ढँक कर खेत में काम करती थी। गर्मी से पसीना होता था, लेकिन बीमारी के डर से करना पड़ता था। सिर्फ दिन का एक बार खाना खाकर खेतों में काम करती रहती थी। फिर वापस घर आकर नहाकर खाना खाती थी। फैट ने आर्थिक रूप से भी मदद की है। इससे पूनम को खड़े होने में मदद मिली है। वह अभी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है और उसके घर की स्थिति अभी पहले से बेहतर है। पूनम भविष्य में कुछ रोजगार करना चाहती है। वह किसी भी तरह का काम करने के लिए तैयार है। उसे समाज की तालाबंदी से निकलना है। 

 

There is a village called Orap located in Buxar, Bihar, Tadhi Block, Panchayat Narayanpur. The total population of the place is 2500. Most of the people’s work as daily wage labourer in the village. That is the only source of livelihood for them. Women also work as farmers in the fields and grow wheat, rice and chana.  Men migrate to different villages in search of work, for which 15 kms per day. These people look for work for cleaning sewers, carrying bricks and cement with a hope of earning 250-300 INR per day.Managing their livelihood was already a great deal of struggle upon which all of a sudden on the March 23rd a nationwide lockdown was announced.Their work came to stand still. 

 

In the same village a community named ‘Chamar’ also resides. Poonam resides there with her family. She lived with her mother ,father,3 sisters and two brothers. One of her sisters  is married, the rest three including Poonam are still unmarried. One of her sister is differently abled. The elder brother completed his education and now works in the city. Poonam is the second daughter of her parents. Poonam is 22 years old, she has completed her schooling, this year passed her 12th standard with good numbers, now she wants to pursue her graduation. 

 

Poonam’s mother work as a cook in a nearby school, her father cannot work as he has had paralysis. Before COVID– 19 outbreak, Poonam’s brother went to Panipat to work, it took him 18 hours by train from Baxar to reach Panipat. He worked in a factory where he earned 8000 INR per month for the work of thread cutting. He would send 2000 INR-3000 INR home. Before the lockdown Poonam’s brother visited home during Holi, his physical health was suffering due to cold and fever, so the family called him back home, because he was home his earning also stopped and immediately after this the lockdown was declared and he got stuck at home.

Poonam is a very responsible girl, since the beginning she wanted to help her father and she does that as well. She has been working in the field and sows and harvest wheat, rice and chana,then she would tie their bundles and deliver them to the farmers house. In return they would get their wage and would buy grains with the money earned. 

 

Then the lockdown was declared world wide and everyone was confined to their homes, but Poonam was then also spending most of her time on the field, busy in planting & harvesting wheat and rice. Moreover, she also got involved in plowing onions for which she would get paid. She would also travel 2-3 kms away from her village. She would leave home at 3 o'clock and would come back in the evening around 4 o'clock. There were few other women and girls from the neighbour who would travel with her. While walking with Poonam everyone would discuss the COVID- 19 situation. 

Everyone was saying different things about it, few read from the newspaper and few would try to understand from the news channels as they had the television, but Poonam or her family did not have access to these things at their home. Poonam only knew as much she heard. Sometimes, while working in the field the police would come and ask to stop the work, they would also tell everyone to maintain  physical distance from each other. Poonam would carry her own food from home, however, often due to the presence of a lot of people around her she would not eat. It was difficult to maintain social distance in the field.

What are the precautions to be taken to avoid COVID-19, how does COVID-19 spread? how can people protect themselves from this infection, they did not have the adequate and the correct information about it. Whatever the police told them to do they did. Honestly the lockdown did not affect Poonam much as her work did not stop and she kept on working. She could not stop working fearing the illness, anyway the fear of illness was one side and how will they survive and live their life without food was on other hand, she had to work. 

 

Poonam looked after the entire family. Her brother was very sick, he was suffering from Pulmonary edema. He had gone through a lot of treatment but nothing worked. Along with the expenses of the treatment they were also worried about the household expenses. Poonam had earned some money by stitching clothes and also she worked with FAT organisation’s Women Leadership Programme, with that money she was taking care of her family and household during the lockdown.

Despite the fact that Poonam was spending all the money she earned at home her brother and the sisters would not really appreciated  her efforts. Poonam’s mother and father knew that she has contributed finances in the family. Since Poonam got a mobile phone from FAT organisation, and as her participation has increased in the FAT meetings and also she was occupied with her homework, these created  problems for her.  She would stay occupied & busy all day long  with so much work she could not give much time to her home and family. Her brothers and sisters thought that she wasted all her time on the phone, they thought that Poonam only thought about her well being, and the others had to spend time working both at home and outside. No one was able to understand Poonam’s situation. 

 

Poonam wanted to study B.A. but she did not have sufficient money for that and moreover she was being pressured to get married for a very long time.  She was studying because of which she could procrastinate her marriage but now it won't be possible for her to do so.  She is emotionally black mailed, they say to her “Get married, otherwise who will marry you off if we die '' ! In her community girls are married off at a very young age. Now she is 22 years old so people say “You are already grown up, her family is not letting her marry because she is earning for them, and if she gets married they won't be able to eat from her earnings.’ People kept on taunting her with such words.  Poonam’s father got affected by such statements by the nearby community members and as a result he would say ill words to Poonam. Her father would say “ You are the elder one and after you, you have two more sisters. If you don’t get married, how would they?” Now Poonam has started to give up, her father and brother both got ill, father was ill from the very beginning because of which he was not working and now they do not know when the brother would recover as well !

 

Poonam was now tired of listening to all these statements , she has said yes for marriage but not because she wants to but just for her family's happiness. She knows that in society people force a woman for marriage so that she could be controlled.  Poonam knew she had no way out, she did not have her degree neither she had a proper work, but yet she was working.  

With the help of FAT organisation Poonam got adequate information of COVID – 19 and from the proper source. Poonam started  to participate in the activities organised by FAT organisation, she  gained knowledge about what precautions should be  taken and how to prevent and protect oneself from the virus. She has now started to talk to everyone and also she listens to everyone and she likes doing that. During work in the field she now ties up her face with a cloth(Dupatta).  She felt hot and she did sweat but as a precaution she kept herself covered. She would only eat once a day and then continued with her work, then she would go back home take a proper bath and would eat her food. FAT has also helped Poonam financially, which helped her stand independently. She is mentally and physically healthy and also the condition at her home is better now.  Poonam wants to earn her living in the future and she is ready to do any kind of work. She wants to make her way out from the societies Lockdown.  

 
Written by Rinku Kumari, Buxar, Bihar


This article is part of an Livelihood Action Project of FAT with young girls from Bihar and


Jharkhand to enable them to become professional story writers. The training for story writting was done by Purwa Bharadwaj, and she edited and finalised the story in Hindi. The English translation of this story was done by an intern from TISS, Aqsa and final edits by Meetu Kapoor.