नेतृत्व का पहला अनुभव - The first experience of taking the lead

मैं फेलोशिप के काम में आज कल लगी हुई हूँ जो नाटक के प्रति मेरा लगाव और फ़ैट में जो सीखा है, इन दोनो का एक बढ़िया संगम है | नुक्कड़ नाटक के ज़रिए मैं समाज में मौजूद जेंडर भेदभाव के मुद्दे पर जागरूकता लाना चाहती हूँ और यह भी दर्शाना चाहती हूँ कि किस तरह पितृसत्तात्मक उत्पीड़न से लड़ने का एक तारीक़ नारीवाद हो सकता है | यह छेह महिने का फेलोशिप इसी महीने शुरू हुआ है जिसमे मैं समुदाय  (कम्यूनिटी) के साथ काम कर रही हूँ | फील्ड मैं कई सारी परेशानियाँ आती हैं जिनका सामना करना पड़ता है लेकिन मैं अपनी उन्नति से प्रसन्न हूँ | एक ही समय पर कई सारे बातें और काम करना होता है—जैसे सहयोगियों से बातें करना, उन्हें  अपनी बाते समझना, उनमें रुझान लाना और एक लम्बे समय के लिए उनका ध्यान बांधे  रखना। इन सभी कार्यों को एक साथ संभालने का अनुभव अलग है और मैं अपनी प्रगति से बहुत खुश हूँ | यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण एहसास है  और इसके द्वारा मुझे कई चीज़ो का ज्ञान मिल रहा है| लोगो से बाते करना, अपने काम के बारे में लोगो को समझाना, स्कूल में जा कर शिक्षकों से मिलना, उन्हें  अपना विचार बताना, हमउम्र साथियो और  सहयोगियों से बाते करना | यह मेरा पहला ऐसा अनुभव है जिसे मैं लीड कर रही हूँ, बहुत मज़ा आ रहा है । फैट के सभी  सदस्य मेरी मदद करते है, हर परेशनी में कोई न कोई होता है जिससे मैं बात कर के समस्या का हल ढूंढ लेती हूँ | 

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इन दिनों फ़ैलोशिप का काम बहुत ही ज़ोरो से चल रहा है | बहुत मज़ा आता है जब खुद की पसंद या इच्छा की चीज़ मिलती है और इस पूरे अनुभव से मुझे ऐसा ही लग रहा है | अभी हाल ही के कुछ दिनों में मैंने अपनी समुदाय में recce किया, लोगो से बातें की और फ़ैलोशिप के बारे में उन्हें समझया | काफी लोगो ने अपना रूझान दिखाया, सोचा भी नही था के ऐसा सकारात्मक जवाब लोगो से मिलेगा | पहले पहल तो बहुत डर  लग रहा था; क्या होगा? कैसे होगा? कोई हमारी बाते सुनेगा या नही? परंतु पहले और आज में मुझमें काफी बदलाव आया है। ऐसा नही है के में लोगो से बाते नही कर पाती | एक थिएटर कलाकार होने की वजह से मुझे लोगो का सामना और अपनी भावनाओं को व्यक्त करना आ जाता है । पर अभी  मैं लीडर के रूप में, अपनी इच्छा से, अपने समुदाय में किशोर किशोरियों को थिएटर सीखा रही हूँ।  मैं उन्हें जेंडर से जुड़े मुद्दों पर थिएटर के ज़रिये जागरूकता लाने का प्रयास कर रही हूँ |

कल मैं जलविहार और श्रीनिवसपुरी के समुदाय में अपने सहयोगियों से मिलने गई थी | श्रीनिवसपुरी में बहुत अच्छा अनुभव रहा। मैं वाई.एम. सी .ए गयी, जो समुदाय के बच्चो को पढ़ाती है | वहाँ के एक सर से मिली जिन्हे मैंने अपना विचार बतया। वह काफी प्रभवित हुए और कहा कि वे अपने स्कूल के युवाओ को थिएटर सीखाना चाहेंगे | इस हफ्ते उन्होने मुझे फिर से बुलाया है इसी बात पर आगे चर्चा करने के लिए | वहाँ के युवा और शिक्षकों से मिलने के लिए मैं बहुत उत्सुक हूँ |

- रेनु आर्या

 रेनु टेक सेंटर की पूर्व छात्रा रह चुकी हैं जो फ़ैट से तीन साल से जुड़ी हैं | एक साल इंटर्नशिप करने के पश्चात रेनु आज फेलोशिप कर रही हैं |

 

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I have been engaged in working on my fellowship at FAT that combines my learning here and my passion and interest in theatre. I am working on using street play as a medium to illustrate gender discrimination in our society and how feminism can be a way of countering patriarchal oppression. I hope to engage in efficient community work as part of this six-month fellowship that I began working on this month. Though there are several problems I face while on the field, I am happy with the smooth manner in which I am progressing. My work requires me to multitask constantly—talking to people and participants, explaining the objective of my fellowship, generating awareness and curiosity in them regarding this. Doing all this together and simultaneously can be quite an experience and I am very happy with my progress. This has been an important experience for me and I am learning several new thing through this fellowship. Talking to people, explaining my work to an interested audience, meeting interested teachers and students in school, sharing viewpoints and holding discussions with my peer—doing all this is a first-time experience for me to coordinate and lead single-handedly. It’s been exciting so far and I am very thankful to all team members at FAT who are always ready to help at any time and constantly come up with solutions to any problems I might face in the field.         

These days, I have been working very closely on my fellowship and I am really happy about the fact that I am doing it in a field that I am most interested and passionate about—theatre. I recently completed my recce by talking to people in my community and familiarizing them with my topic and area of interest with regard to this fellowship. Many of them expressed interest and I was pleasantly surprised at the positive response. Initially, I was both scared and hesitant to begin working on something like this, all the while wondering—how will I do this on my own What if I am unable to? Will anyone listen to my idea and even understand it? But there has been significant change and shift from how I began and how confident I have become today. This isn’t the first time that I have been involved in interacting with people. As a theatre person, I have often faced people and learned to express emotions in front of them. But now, I am a leader and teaching theatre to the youth in my community. I am trying to engage them with issues around gender to generate awareness in them.

Yesterday, I visited Jal Vihar and Sriniwaspuri and met people in the community there. The experience at Sriniwaspuri was particularly engaging and rewarding. I also went to Y.M.C.A, a place that teaches several young students. I met a teacher there and shared the topic in which I am doing my fellowship and he was very impressed and influenced by it. He also said that he would talk in his school to organize a theatre workshop with the youth there. I have been called for a meeting this week to discuss this further with the students and teachers there. I am very excited to take this forward and looking forward to it eagerly!

- By Renu Arya

 Renu Arya is an alumni from our Tech Center who has been associated with FAT for over three years. After interning with us for a year, she is now working on a six-month fellowship.

Edited and translated by Deepa Ranganathan.